गांडा जाति के विषय मे कुछ रोचक बातें

( आप सभी को जय भीम नमो बुध्दया) लेख लंबे है पर गहन करने योग्य है। समय निकलाकर जरूर पढ़ें। (साथियो) हमारे गांडा अनुसूचित जाति होने पर जहाँ एक ओर हमे शासन प्रशासन की सुविधाएं मिल रही है,सवैधनिक रूप से आरक्षित है। (गांडा होने पर झिझक नही गर्व करो) चिंता का विषय है 1950 के दशक में हमारे पूर्वजो द्वारा सरनेम के रूप में गांडा शब्द का ही उपयोग किया गया जिसका प्रमाण आपके पास स्वयं है अपने वंश वृक्ष,मिशल,पुराने खसरे,नक्शे,इत्यादि देखे। आखिर हमारे पूर्वजो गांडा शब्द को चुना,जिन पूर्वजो से नाम मिली,पहचान मिली,जमीन मिले, रोजगार मिले,जाति प्रमाण मिला, सवैधनिक सुविधा मिली।बस पहल की आवश्यकता है। *(गांडा जाति और वर्णव्यवस्था का सबन्ध)* आप सभी को विदित भारत देश मे सवैधिक व्यवस्था के पूर्व वर्णव्यवस्था थी,वर्णव्यवस्था में चार वर्ण थे - ब्राम्हण,क्षत्रिय,वैश्य,शुद्र,ये वर्णव्यवस्था सविधान निर्माण हो जाने के उपरांत भी जीवित है। जिसमे सबसे निचली समुदाय में शूद्रों को देखा जाता है,और उनसे छुआछूत की भवना रखी जाती है।गांडा जाति भी शुद्र के अनुकूल रखी गई है,जिसपर आज भी हमारे साथ ऐसे छुवाछुत ...