अंधविश्वास और प्रथाएं का हो अंत
[7/27, 19:29] मनी चौहान जी शिवरीनारायण: आज का जो महत्वपूर्ण विषय आपके द्वारा उठाया गया है वह वर्तमान समय में बहुत ही गंभीर विषय है.....
अंधविश्वास को हम इस प्रकार से परिभाषित कर सकते हैं अंधविश्वास एक ऐसा चीज होता है जिसका कोई वास्तविकता नहीं होता वह वास्तविकता से कहीं दूर होता है परंतु मनुष्य बहकावे में आकर उस पर विश्वास कर लेता है और विभिन्न प्रकार की क्रियाकलाप करने लगता है आज अंधविश्वास में पड़कर लोग यदि किसी को कोई बीमारी हो जाए तो उस बीमारी का इलाज ना करा कर किसी तांत्रिक के द्वारा इलाज कराते हैं और वह तांत्रिक लोगों को और अंधविश्वास में डालता है जिससे बीमार व्यक्ति का सही तरीके से उपचार नहीं हो पाता और वह धीरे-धीरे मौत को प्यारा हो जाता है हमें इस चीज से समाज को अवगत कराना होगा कि जादू टोना जैसा कोई चीज होता ही नहीं है वास्तविक में कहें तो मनुष्य के खानपान रहन सहन एवं अपनी खुद की गलतियों के कारण वह बीमार पड़ता है और वही बीमारी किसी भयानक रोग का रूप ले लेती है और सही समय में इलाज न कराने पर यह बहुत ही खतरनाक हो जाता है इसलिए हमें तांत्रिकों से इलाज ना करा कर किसी अच्छे डॉक्टर के पास इलाज कराना चाहिए
पशु बलि प्रथा को भी मै एक प्रकार से अंधविश्वास ही मानता हूं
मैं प्रतिदिन रामायण का पाठ करता हूं रामायण अध्ययन करता हूं मैं भगवत गीता भी पढ़ा हूं परंतु किसी भी ग्रंथ में मुझे पशु बलि प्रथा का ज्ञात नहीं हुआ यह पशु बलि प्रथा बहुत ही गलत प्रथा है कोई भी देवी देवता या स्वयं भगवान कभी भी अपने ही द्वारा उत्पन्न किए जीवो की हत्या नहीं करवा सकता ना ही कोई देवी ऐसे पशुओं की बलि चाहती है लोग अपने स्वार्थ के कारण बलि प्रथा आए चला रहे हैं जो कि बहुत ही बड़ा अपराध है
[7/27, 19:36] मनी चौहान जी शिवरीनारायण: रामायण में तुलसीदास जी ने स्पष्ट कर दिया है-----
परहित सरिस धर्म नहीं भाई I
पर पीड़ा सम नहिं अधमाईii
इसका अर्थ है किसी दूसरे जीव के ऊपर हित करने से बड़ा कोई धर्म नहीं होता और किसी अन्य जीव को पीड़ा पहुंचाने से बड़ा कोई अपराध नहीं होता
इस प्रकार तुलसीदास जी ने रामायण में स्पष्ट कर दिया है कि जीव हत्या बहुत ही बड़ा पाप है
1---अंधविश्वास
समाज में अंधविश्वास मनुष्य को आज भी प्रकार से प्रभावित कर रही है अंधविश्वास एक गंभीर विषय है अंधविश्वास के कारण आज कई सारे अपराध समाज में घटित हो रहे हैं लोग अंधविश्वास में पड़कर विभिन्न प्रकार के जुर्म को अंजाम दे देते हैं समाज को अंधविश्वास से लाना है पड़ेगा!अंधविश्वास को हम इस प्रकार से परिभाषित कर सकते हैं अंधविश्वास एक ऐसा चीज होता है जिसका कोई वास्तविकता नहीं होता वह वास्तविकता से कहीं दूर होता है परंतु मनुष्य बहकावे में आकर उस पर विश्वास कर लेता है और विभिन्न प्रकार की क्रियाकलाप करने लगता है आज अंधविश्वास में पड़कर लोग यदि किसी को कोई बीमारी हो जाए तो उस बीमारी का इलाज ना करा कर किसी तांत्रिक के द्वारा इलाज कराते हैं और वह तांत्रिक लोगों को और अंधविश्वास में डालता है जिससे बीमार व्यक्ति का सही तरीके से उपचार नहीं हो पाता और वह धीरे-धीरे मौत को प्यारा हो जाता है हमें इस चीज से समाज को अवगत कराना होगा कि जादू टोना जैसा कोई चीज होता ही नहीं है वास्तविक में कहें तो मनुष्य के खानपान रहन सहन एवं अपनी खुद की गलतियों के कारण वह बीमार पड़ता है और वही बीमारी किसी भयानक रोग का रूप ले लेती है और सही समय में इलाज न कराने पर यह बहुत ही खतरनाक हो जाता है इसलिए हमें तांत्रिकों से इलाज ना करा कर किसी अच्छे डॉक्टर के पास इलाज कराना चाहिए
[7/27, 19:33] मनी चौहान जी शिवरीनारायण: पशु बलि प्रथा---
पशु बलि प्रथा को भी मै एक प्रकार से अंधविश्वास ही मानता हूं
मैं प्रतिदिन रामायण का पाठ करता हूं रामायण अध्ययन करता हूं मैं भगवत गीता भी पढ़ा हूं परंतु किसी भी ग्रंथ में मुझे पशु बलि प्रथा का ज्ञात नहीं हुआ यह पशु बलि प्रथा बहुत ही गलत प्रथा है कोई भी देवी देवता या स्वयं भगवान कभी भी अपने ही द्वारा उत्पन्न किए जीवो की हत्या नहीं करवा सकता ना ही कोई देवी ऐसे पशुओं की बलि चाहती है लोग अपने स्वार्थ के कारण बलि प्रथा आए चला रहे हैं जो कि बहुत ही बड़ा अपराध है
[7/27, 19:36] मनी चौहान जी शिवरीनारायण: रामायण में तुलसीदास जी ने स्पष्ट कर दिया है-----
परहित सरिस धर्म नहीं भाई I
पर पीड़ा सम नहिं अधमाईii
इसका अर्थ है किसी दूसरे जीव के ऊपर हित करने से बड़ा कोई धर्म नहीं होता और किसी अन्य जीव को पीड़ा पहुंचाने से बड़ा कोई अपराध नहीं होता
इस प्रकार तुलसीदास जी ने रामायण में स्पष्ट कर दिया है कि जीव हत्या बहुत ही बड़ा पाप है
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