गांडा समुदाय की रौचक जानकारियां आओ विचार करे प्रश्न के उत्तर
(आइए आज विचार रखे)
प्रश्न :- गांडा समुदाय के पारंपरिक कुलदेव - देवी(इष्टदेव) कौन कौन है?
उत्तर:- गांडा समुदाय के पारंपरिक कुलदेव - बूढ़ादेव,दूल्हादेव,चुल्हादेव,सूरजदेव,काली माता(बूढ़ी माँ)है
बुुुढ़ादेव - गांडा समुदाय से बूढ़ादेव का सम्बंध बड़ा ही रौचक है बूढ़ादेव आदिकाल के प्रथम पुरुष थे,जिन्होंने अपने कुल को प्राकृतिक के धरती,जल,पशु,पक्षी अनुकूल नाम दिया,जैसे - नदी से महानन्दिया,सोना - सोनवानी,बाघ ,लोहा,गरुड़,इत्यादि हमारे प्रत्येक गौत्र प्राकृतिक से ही जुड़े हुए है,जिसकी उतपत्ति बूढ़ादेव जी ने ही किया,प्रथम पुरुष होने के नाते उनका नाम बूढ़ादेव पड़ा,जो आज हमारे समाज मे ईश्वर रूप में पूजे जाते है। काली(बूढ़ी माँ) हमारे समाज की प्रथम महिला प्राकृतिक उपासक थी जो आज हमारे समाज की कुलदेवी के रूप में मानी जाती है।
बुुुढ़ादेव - गांडा समुदाय से बूढ़ादेव का सम्बंध बड़ा ही रौचक है बूढ़ादेव आदिकाल के प्रथम पुरुष थे,जिन्होंने अपने कुल को प्राकृतिक के धरती,जल,पशु,पक्षी अनुकूल नाम दिया,जैसे - नदी से महानन्दिया,सोना - सोनवानी,बाघ ,लोहा,गरुड़,इत्यादि हमारे प्रत्येक गौत्र प्राकृतिक से ही जुड़े हुए है,जिसकी उतपत्ति बूढ़ादेव जी ने ही किया,प्रथम पुरुष होने के नाते उनका नाम बूढ़ादेव पड़ा,जो आज हमारे समाज मे ईश्वर रूप में पूजे जाते है। काली(बूढ़ी माँ) हमारे समाज की प्रथम महिला प्राकृतिक उपासक थी जो आज हमारे समाज की कुलदेवी के रूप में मानी जाती है।
दूल्हादेव :- गांडा समुदाय में दूल्हादेव पूजनीय है दूल्हादेव नाम से ही प्रतीत होता है सजा हुआ युवा,जब वर्णव्यवस्था जीवित थी तब लोग हमें द्रेश भाव से देखते थे,विवाह संस्कारो में हमारे प्रथम पूजनीय बुढ़ादेव जी की सजने और विवाह करने उपरांत उन्हें दूल्हादेव कहा गया।आज भी हमारे समाज मे यह रीत है कि जब कोई युवा दूल्हा बनता है तो उसे देव रुप मे पूजन किया जाता है,तथा सजाया जाता है।
माताएं बारात जाने के पूर्व अपने दूध पिलाकर उनकी बरात रवाना करती है।इसीलिये दूल्हादेव पूजनीय है।
सूरजदेव - गांडा समुदाय प्राकृतिक के नाम के वंशज एवं प्राकृतिक उपासक रहे,उन्होंने सूर्य की पूजा अर्जना किया,तथा अकाल के समय चमड़े से बने बजाओ को जिन्हें हम गडवा बजा भी कहते है उन्हें बाजा कर प्राकृतिक को प्रसन्न करते थे,जिनमे उन्होंने ग्रीष्म ऋतु में सूर्य देव की उष्णता को कम करने हेतु उनकी उपासना एवं बजा बजाकर उनकी पूजा अर्चना की,तब से सूरजदेव हमारे कुल देव बने।
चुल्हादेव - हमारे समाज मे यह आज भी परंपरा जीवित ही जब भी किसी विशेष प्रसाद को तैयार करते है तब हम चूल्हे में ही व्यंजनों को तैयार करते है विवाह में विशेष महत्व रहता है चूल्हे जा जब बड़ा बंनाने की परंपरा सामने आती है तब यह आप आसानी से देख सकते है,गांडा समुदाय के लोगो ने इसिलए चूल्हे को देव माना और चुल्हादेव का नाम दिया,आज भी में हम भोजन बनाने के पूर्व चूल्हे को लिपते है एवं सांयकाल में दीपदान करते है।
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प्रश्न :- गांडा समुदाय में कौनसी विवाह संस्कार प्रचलित है?
उत्तर:- गांडा समुदाय एवं उनके विवाह संस्कार प्रचालन
1)दूध लौटावा विवाह - यह विवाह गांडा समुदाय में 90% प्रचलित है इस विवाह में मामा फूफू के रिश्ते के बीच एक नए रिश्ते में बांधती है,यह विवाह आज हमारे समाज मे 90% है यदि कोई सगे मामा,या सगे फूफू न भी हो तो विवाह उपरान्त मामा फूफू के रिश्ते में वर वधु पक्ष बन जाते है,इससे हमारे समाज की गतिविधियां परिवारिक मजबूती भी बनी रहती है।
1)दूध लौटावा विवाह - यह विवाह गांडा समुदाय में 90% प्रचलित है इस विवाह में मामा फूफू के रिश्ते के बीच एक नए रिश्ते में बांधती है,यह विवाह आज हमारे समाज मे 90% है यदि कोई सगे मामा,या सगे फूफू न भी हो तो विवाह उपरान्त मामा फूफू के रिश्ते में वर वधु पक्ष बन जाते है,इससे हमारे समाज की गतिविधियां परिवारिक मजबूती भी बनी रहती है।
2)लमसेना विवाह - इस विवाह में कोई वर वधु के घर मे रहकर ही अपना जीवन यपना करता है उसे लमसेना विवाह कहते है जो हमारे समाज 10% तक ही समिति है।
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प्रश्न :- छतीसगढ़ राज्य में गांडा समुदाय की जनसँख्या कितनी है?
उत्तर:- भारत का सविधान भाग 1 संघ और उसका राज्य क्षेत्र अनुच्छेद 2 पहली अनुसूची के परिपालन में छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना वर्ष 1 नवम्बर सन 2000 में किया गया,वर्ष 2001 में राज्य गठन उपरांत अनुसूचित जाति एवं जनजाति के सर्वे कराया गया जिसमें गांडा समुदाय अनुसूचित जाति की जनसंख्या 303792 (तीन लाख सैंतीस सौ बियानबे)दूसरी सबसे बड़ी अनुसूचित जाति के रूप में दर्ज की गई।जिसमे रायगढ़ एवं रायपुर को बाहुल्य क्षेत्र माना गया।
शासन के रिकार्ड के आधार पर जानकारी दी रही है।
चुकी छत्तीसगढ़ में गांडा समुदाय में सरनेमवाद को बढ़ावा दिया गया जिसपर लोगों द्वारा सरनेम समाज को जनगणना दौरान बताया गया जिससे 10 से 15 लाख की जनसंख्या विलुप्त हो गई।
शासन के रिकार्ड के आधार पर जानकारी दी रही है।
चुकी छत्तीसगढ़ में गांडा समुदाय में सरनेमवाद को बढ़ावा दिया गया जिसपर लोगों द्वारा सरनेम समाज को जनगणना दौरान बताया गया जिससे 10 से 15 लाख की जनसंख्या विलुप्त हो गई।
ये थे मेरे अपने विचार अच्छा लगे तो शेयर जरूर करे,एवं जिस समाज के लिये आप संघर्ष करना चाहते है तो उसकी पूर्ण जानकारी हो ताकि जीत ही मिले।।
धन्यवाद
आपका अपना - प्रशान्त कुमार सोनवानी 6266123374
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