गांडा जनजाति का इतिहास जानकारी

गांडा जनजाति का इतिहास अन्य जानकारियां


उतप्ति :- समृद्ध देश भारत मे भारतीय जनजातियों की गणना एवं जनजातियों के नाम उनके कर्मों के आधार पर रखा गया,इसी जनजातियों में एके वृहद समुदाय भारत देश में गांडा जनजाति निवासरत है।यह जनजाति प्रान्त - मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़,ओडिसा,असम,झारखण्ड एवं अन्य राज्यो में पाए जाते है ।
गांडा शब्द का अर्थ - गांडा शब्द हिंदी शब्दकोश,इंग्लिश डिक्शनरी में इसका अर्थ प्रायः देखा गया है तो गांडा -(अ) चौकी या पहरे पर बैठना,(ब)दैविक उपद्रवों बाधाओं आदि से रक्षित रहने के लिये कलाई या गर्दन में लपेटकर बांधा जाने वाला मंत्र पूत डोरा या सूत से होता है,(स)एक स्थान में बने रहना।। गांडा शब्द को गाड़ी शब्द से भी जोड़ा गया है गाड़ी - एक स्थान से दूसरे स्थान तक चलने वाली मशीन।।
कुछ लोगो द्वारा गांडा शब्द का भवार्थ अलग मानसिकता से विचार किया जाता है जो सिर्फ सोचनीय है यही अर्थतः नही है।
कार्यशैली/व्यवसाय गांडा जनजाति के सदस्यों का मुख्य व्यवसाय कृषि है,छत्तीसगढ़ में निवासरत जनसँख्या की दृष्टि से दूसरे सबसे बड़ी जनजाति गांडा है जिसमे 48.5% लोग कृषि पर निर्भर है।साथ ही व्यवसाय की दृष्टि से रेशम,कोषे के सूत कतना एवं वाद्ययंत्रों कला पर निर्भर है।
प्रमुख इष्टदेवी देवता
गांडा जनजाति के लोग मुख्यतः देवी देवता गोड़वंशी से ही है इस जाति के लोग चुल्हादेव,दूल्हादेव,महादेव,बूढ़ादेव,बूढ़ी माँ(काली माँ)को मानते है।
गांडा जनजाति का इतिहास राजवंशक काल मे गांडा जनजाति उनके कर्मों के आधार पर प्रख्याति एवं उपलब्धियां प्राप्त हुई,राजाओ द्वारा गांडा जनजातियों को मुख्य सरंक्षण देते हुए उन्हें कार्यभार सौपे गए जिसमे एक स्थान से दूसरे स्थान तक सन्देश वाहक का कार्य देते हुए ग्राम का पहरेदार(गांव का नॉकर)घोषित किया गया था जो आज भी पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है जिन्हें वर्तमान में हम ग्राम कोटवार के नाम से जानते है। गांडा जनजाति कला संस्कृतिक के क्षेत्र में भी अहम भूमिका थी,राजाओ के काल मे गांडा जनजाति के वाद्ययंत्रों से ही शुभ कार्यो का शुभारंभ किया जाता है जिस वाद्ययंत्र को वर्तमान गडवा बाजा के नाम से प्रचलित हुआ ,गोड़ राजाओ ने गांडा जनजाति को अपने चचेरे भाई के रूप में मान्यता दी साथ ही छत्तीसगढ़ में निवासरत गांडा जनजाति सदस्यो को ग्राम का पहरेदार के रुप में नियुक्त किया गया।

प्राकृतिक प्रेम
गांडा जनजाति के पूर्वज प्राकृतिक के उपवासक रहे एवं अपने इष्टदेव देवियो को प्राकृतिक के खुली स्थानों पर रखते थे,गांडा जनजातियों को प्राकृतिक प्रेम से ही आज इस जनजाति के सारे गौत्र वन प्राणियों,नदियों,पेड़,पोधो,प्राकृतिक सम्पदाओं के नाम रखा गया। जैसे - सोना,नन्द,लोहा,बाघ इत्यादि 200 से भी अधिक गौत्रों का नाम प्राकृतिक संसाधनों से ही जुड़ हुआ है।
परिकल्पना - प्रशांत कुमार सोनवानी जिला रायगढ़, जन्मस्थल जिला कोरबा पैतृक स्थल - ग्राम झुलनाकला तह.पथरिया जिला मुंगेली राज्य छत्तीसगढ़ भारत।। 6266123374
उतप्ति :- समृद्ध देश भारत मे भारतीय जनजातियों की गणना एवं जनजातियों के नाम उनके कर्मों के आधार पर रखा गया,इसी जनजातियों में एके वृहद समुदाय भारत देश में गांडा जनजाति निवासरत है।यह जनजाति प्रान्त - मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़,ओडिसा,असम,झारखण्ड एवं अन्य राज्यो में पाए जाते है ।
गांडा शब्द का अर्थ - गांडा शब्द हिंदी शब्दकोश,इंग्लिश डिक्शनरी में इसका अर्थ प्रायः देखा गया है तो गांडा -(अ) चौकी या पहरे पर बैठना,(ब)दैविक उपद्रवों बाधाओं आदि से रक्षित रहने के लिये कलाई या गर्दन में लपेटकर बांधा जाने वाला मंत्र पूत डोरा या सूत से होता है,(स)एक स्थान में बने रहना।। गांडा शब्द को गाड़ी शब्द से भी जोड़ा गया है गाड़ी - एक स्थान से दूसरे स्थान तक चलने वाली मशीन।।
कुछ लोगो द्वारा गांडा शब्द का भवार्थ अलग मानसिकता से विचार किया जाता है जो सिर्फ सोचनीय है यही अर्थतः नही है।
कार्यशैली/व्यवसाय गांडा जनजाति के सदस्यों का मुख्य व्यवसाय कृषि है,छत्तीसगढ़ में निवासरत जनसँख्या की दृष्टि से दूसरे सबसे बड़ी जनजाति गांडा है जिसमे 48.5% लोग कृषि पर निर्भर है।साथ ही व्यवसाय की दृष्टि से रेशम,कोषे के सूत कतना एवं वाद्ययंत्रों कला पर निर्भर है।
प्रमुख इष्टदेवी देवता
गांडा जनजाति के लोग मुख्यतः देवी देवता गोड़वंशी से ही है इस जाति के लोग चुल्हादेव,दूल्हादेव,महादेव,बूढ़ादेव,बूढ़ी माँ(काली माँ)को मानते है।
गांडा जनजाति का इतिहास राजवंशक काल मे गांडा जनजाति उनके कर्मों के आधार पर प्रख्याति एवं उपलब्धियां प्राप्त हुई,राजाओ द्वारा गांडा जनजातियों को मुख्य सरंक्षण देते हुए उन्हें कार्यभार सौपे गए जिसमे एक स्थान से दूसरे स्थान तक सन्देश वाहक का कार्य देते हुए ग्राम का पहरेदार(गांव का नॉकर)घोषित किया गया था जो आज भी पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है जिन्हें वर्तमान में हम ग्राम कोटवार के नाम से जानते है। गांडा जनजाति कला संस्कृतिक के क्षेत्र में भी अहम भूमिका थी,राजाओ के काल मे गांडा जनजाति के वाद्ययंत्रों से ही शुभ कार्यो का शुभारंभ किया जाता है जिस वाद्ययंत्र को वर्तमान गडवा बाजा के नाम से प्रचलित हुआ ,गोड़ राजाओ ने गांडा जनजाति को अपने चचेरे भाई के रूप में मान्यता दी साथ ही छत्तीसगढ़ में निवासरत गांडा जनजाति सदस्यो को ग्राम का पहरेदार के रुप में नियुक्त किया गया।

प्राकृतिक प्रेम
गांडा जनजाति के पूर्वज प्राकृतिक के उपवासक रहे एवं अपने इष्टदेव देवियो को प्राकृतिक के खुली स्थानों पर रखते थे,गांडा जनजातियों को प्राकृतिक प्रेम से ही आज इस जनजाति के सारे गौत्र वन प्राणियों,नदियों,पेड़,पोधो,प्राकृतिक सम्पदाओं के नाम रखा गया। जैसे - सोना,नन्द,लोहा,बाघ इत्यादि 200 से भी अधिक गौत्रों का नाम प्राकृतिक संसाधनों से ही जुड़ हुआ है।
परिकल्पना - प्रशांत कुमार सोनवानी जिला रायगढ़, जन्मस्थल जिला कोरबा पैतृक स्थल - ग्राम झुलनाकला तह.पथरिया जिला मुंगेली राज्य छत्तीसगढ़ भारत।। 6266123374

Comments

Very beautiful information This information will guide the next generation
Unknown said…
Bahut achha information sir
Unknown said…
Is this a historical information . Don't use to mislead our Ganda tribes.Plz uploaded original history of Ganda tribe.
Unknown said…
बहुत बड़ीहा
Unknown said…
मुझे लगता है यह जानकारी सही नही है
Unknown said…
हम राजसी ठाट-बाट से जीने वाले चौहान है

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